Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 76
________________ प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी सप्तमी प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी एकवचन का ( 9 / 18 ) सप्तमी स्त्रीलिंग कं (5/21, 6/60, 5 / 3 ) काइ, काए (5/22, 5 / 23 ) काइ, काए (5/22, 5/23) एकवचन की (5/18) * कादो, कादु, काहि (6/60,5/6, 6/61) काइ, काए (5/22, 5/23) स्त्रीलिंग कीए (5/22) कीदो, की, कहि किं (5/21, 6/60, 5/3) कीअ, कीआ, कीइ, कीए (5/22) कीअ, कीआ, कीइ, (6/60, 5/6, 6/61) कीअ, कीआ, कीइ, कीए (5/22) * सुबोधिनी टीका के आधार पर । Jain Education International का ( कौन) - वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1) बहुवचन काउ, काओ (5/20) का (6/60, 5/2) काउ, काओ (5/19) काहिं (6/60, 5/5) काण (6/60, 5/4) काहिन्तो, कासुन्तो (6/60, 5/7) कासु ( 6 / 60, 5 / 10 ) की (कौन) बहुवचन कीउ, कीओ (5/20) की (6/60, 5/2) कीउ, कीओ (5/19) कीहिं ( 6/60, 5/5 ) T (6/60, 5/4) कीहिन्तो, कीसुन्तो (6/60, 5/7) कीसु ( 6/60, 5 / 10 ) For Personal & Private Use Only (69) www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126