Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 78
________________ प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी सप्तमी प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी सप्तमी स्त्रीलिंग सुबोधिनी टीका के आधार पर । अमुअ, अमुआ, अमुइ, अमुए (5/22), एकवचन अमू (5/18) • 3TE (6/24) अमुं (5/21, 6/60, 5/3) अमुअ, अमुआ, अमुइ, अमुए (5/22) अमुअ, अमुआ, अमुइ, अमुए (5/22) अमूदो, अमूदु, अमूहि (6/60, 5/6, 5/11, 6/61) - तीनों लिंगों में . मत्तो, मइत्तो, ममादो, ममाहि (6/48) एकवचन हं, अहं, अहअं (6/40) अहम्मि (6/41 ) अहम्मि (6/41) मं, ममं (6/42) मे, ममाइ ( 6/45 ) मइ, मए ( 6/46) मे, मम, मह, मज्झ (6/50) Jain Education International मइ, मए ( 6/46) ममम्मि ममस्सिं (6 / 52 ) वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1 ) अमु (वह) ममादु, बहुवचन अमुउ, अमुओ (5/20) अमू (6/60, 5/2, 5/11) अमुउ, अमुओ (5/19) अमूहिं ( 6/60, 5/5, 5 / 18 ) अमूण ( 6/60, 5/4, 5 / 11 ) अमूहिन्तो, अमूसुन्तो (6/60, 5/7, 5/12) अमूसु ( 6 / 60, 5 / 10, 5 / 18 ) अम्ह (मैं) बहुवचन अम्हे (6/43) अम्हे (6/43) णो (6/44) अम्हेहिं ( 6/47 ) मज्झ, णो, अम्ह, अम्हाणं, अम्हे (6/51) अम्हाहिन्तो, अम्हासुन्तो ( 6/49) अम्हेसु (6/53) For Personal & Private Use Only (71) www.jainelibrary.org

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