Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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प्रथमा
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी व
षष्ठी
पंचमी
सप्तमी
प्रथमा
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी व
षष्ठी
पंचमी
सप्तमी.
नपुंसकलिंग - सव्व (सब)
बहुवचन
सव्वाइं (5/26), सव्वाणि ( 12 / 11 ) सव्वाइं (5/26), सव्वाणि ( 12 / 11 ) सव्वेहिं (5/5, 5/12)
सव्वाण ( 5/4, 5/11 )
एकवचन
सव्वं ( 5/30)
सव्वं ( 5/3)
सव्वेण ( 5/4, 5/12)
सव्वस्स ( 5/8)
सव्वा, सव्वादो, सव्वादु, सव्वाहि सव्वेहिन्तो, सव्वेसुन्तो,
(5/6, 5/11)
सव्वाहिन्तो, सव्वासुन्तो (5/7, 5/12)
सव्वेसु ( 5 / 10, 5 / 12 )
सव्वस्सिं, सव्वम्मि, सव्वत्थ (6/2)
एकवचन
तं (5/30)
तं ( 5/3)
तिणा (673)
नपुंसकलिंग त ( वह )
तेण ( 5/4, 5 / 12 )
तास ( 6 / 5 ) से (6/11 )
तस्स (5/8)
तत्तो, तदो (69)
at (6/10) तस्सिं, तम्मि, तत्थ (6/2)
तहिं (677)
ता, तइआ (6/8)
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वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1 )
बहुवचन
ताइं (5/26), ताणि ( 12 / 11 ) ताइं ( 5/26), ताणि ( 12 / 11 ) तेहिं (5/5, 5/12)
afi (6/4), fi (6/12)
ताण (5/4, 5/11) ताहिन्तो, तासुन्तो, तेहिन्तो, agat (5/7, 5/12) तेसु ( 5 / 10, 5 / 12 )
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