Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 48
________________ 93. अम्हेहिं भिसि 6/47 अम्हेहिं (अम्हेहिं) 1/1 भिस् परे होने पर 'अम्हेहिं' (होता है ) । 95. अस्मद् → अम्ह के भिस् (तृतीया बहुवचन का प्रत्यय) परे होने पर (अम्ह और भिस् के स्थान पर) 'अम्हेहिं' होता है। ( अम्ह + भिस्) = अम्हेहिं (तृतीया बहुवचन) ममादो ( ममादो ) 1 / 1 94. मत्तो महत्तो ममादो ममादु ममाहि ङसौ 6/48 मत्तो ( मत्तो) 1 / 1 महत्तो ( मइत्तो) 1 / 1 ममादु (ममादु) 1/1 ममाहि ( ममाहि) 1 / 1 ङसौ (ङसि) 7/1 ङसि परे होने पर ‘मत्तो', 'मइत्तो', 'ममादो', 'ममादु', 'ममाहि' (होते हैं) अस्मद्→अम्ह के ङसि (पंचमी एकवचन का प्रत्यय) परे होने पर (अम्ह और ङसि के स्थान पर) 'मत्तो', 'मइत्तो', 'ममादो', 'ममादु', 'ममाहि' होते हैं । ( अम्ह + ङसि ) मत्तो, मइत्तो, ममादो, ममादु, ममाहि (पंचमी एकवचन) भिसि (भिस्) 7/1 अम्हाहिन्तो अम्हासुन्तो भ्यसि 6/49 अम्हाहिन्तो (अम्हाहिन्तो) 17 1 अम्हासुन्तो ( अम्हासुन्तो) 1 / 1 भ्यसि (भ्यस्) 7/1 भ्यस् परे होने पर 'अम्हाहिन्तो', 'अम्हासुन्तो' (होते हैं) । अस्मद् →अम्ह के भ्यस् ( पंचमी बहुवचन का प्रत्यय) परे होने पर (अम्ह और भ्यस् के स्थान पर) 'अम्हाहिन्तो', 'अम्हासुन्तो' होते हैं । ( अम्ह + भ्यस् ) - अम्हाहिन्तो, अम्हासुन्तो ( पंचमी बहुवचन) 96. मे मम मह मज्झ ङसि मे (मे) 1/1 ङसि (ङस्) 7/1 6/50 ममं (मम) 1/1 मह (मह) 1/1 वररुचिप्राकृतप्रकाश ( भाग 1 ) Jain Education International ङस् परे होने पर 'मे', 'मम', 'मह', 'मज्झ' (होते हैं) । अस्मद् → अम्ह के ङस् ( षष्ठी एकवचन का प्रत्यय) परे होने पर ( अम्ह और ङस् के स्थान पर) 'मे', 'मम', 'मह', 'मज्झ' होते हैं। ( अम्ह + ङस् ) मे, मम, मह, मज्झ (षष्ठी एकवचन ) मज्झ (मज्झ ) 1 / 1 For Personal & Private Use Only (41) www.jainelibrary.org

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