Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 55
________________ नपुंसकलिंग में जस् (प्रथमा बहुवचन का प्रत्यय) और शस् (द्वितीया बहुवचन का प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से 'णि' होता है और पूर्व स्वर दीर्घ होता (कमल + जस् ) : कमलाणि (कमल + शस् ) : कमलाणि (वारि + जस् ) : वारीणि (वारि + शस् ) : वारीणि (महु + जस् ) : महूणि (महु + शस् ) : महूणि (प्रथमा बहुवचन) (द्वितीया बहुवचन) (प्रथमा बहुवचन) (द्वितीया बहुवचन) (प्रथमा बहुवचन) (द्वितीया बहुवचन) 114. शेषं महाराष्ट्रीवत् 12/32 शेषं महाराष्ट्रीवत् { (शेषम्) + (महाराष्ट्रीवत्) } शेषं (शेष) 2/1 महाराष्ट्रीवत् - महाराष्ट्री की तरह शेष रूपों को महाराष्ट्री की तरह (समझना चाहिए) शेष रूपों को महाराष्ट्री की तरह समझना चाहिए। (48) वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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