Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 57
________________ प्रथमा द्वितीया देव (अकारान्त पुल्लिंग) एकवचन बहुवचन देवो (5/1) देवा (5/2, 5/11) देवं (5/3) देवा (5/2, 5/11) . देवे (5/12) देवेण (5/4, 5/12) देवेहिं (5/5, 5/12) देवस्स (5/8) देवाण (5/4, 5/11) तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी देवा, देवादो, देवादु, देवाहि देवेहिन्तो, देवेसुन्तो, (5/6, 5/11) ,देव (5/13) देवाहिन्तो, देवासुन्तो (5/7, 5/12) देवे, देवम्मि (5/9) देव(5/13) देवेसु (5/10, 5/12) हे देव (5/27) हे देवा (9/18) सप्तमी संबोधन FEEEEEEEEEEEEE प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी हरि (इकारान्त पुल्लिंग) एकवचन बहुवचन हरी (5/18) हरिणो (5/16) हरीओ (5/16) हरिं (6/60, 5/3) हरिणो (5/14) हरिणा (5/17) हरीहिं (5/18, 6/60, 5/5) हरिणो (5/15) हरीण (6/60, 5/4, 5/11) हरिस्स (6/60, 5/8) हरीदो, हरीदु, हरीहि हरीहिन्तो, हरीसुन्तो, (6/60,5/6, 5/11, 6/61) (6/60, 5/7, 5/12) हरिम्मि (6/60, 5/9, 6/61) हरीसु (6/60, 5/18, 5/10) हे हरि (5/27) हे हरीओ, हे हरिणो (9/18) सप्तमी संबोधन (50) वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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