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आ (आ) 1/1 { (णो) - (णम्) 7/2 } अ - नहीं ङसि (ङस्) 7/1 णो और णम् परे होने पर 'आ' (होता है) ङस् में नहीं। राजन् → राअ शब्द के णो (प्रथमा और द्वितीया बहुवचन का प्रत्यय) और णम् → णं (षष्ठी बहुवचन का प्रत्यय) परे होने पर अन्त्य अक्षर को 'आ' होता है परन्तु ङस् (षष्ठी एकवचन) में ‘णो' प्रत्यय होने पर आ नहीं होता। (राअ + जस्) - (राअ + णो) - राआणो (प्रथमा बहुवचन) (राअ + शस्) - (राअ + णो) : राआणो (द्वितीया बहुवचन) (राअ + आम्) - (राअ + णं) : राआणं (षष्ठी बहुवचन) . (राअ + ङस्) - (राअ + णो) : राआणो नहीं बनेगा ..
45.
आत्मनोऽप्पाणो वा 5/45 आत्मनोऽप्पाणो { (आत्मनः) + (अप्पाणः) + (वा) } .... आत्मनः (आत्मन्) 6/1 अप्पाणः (अप्पाण) 1/1 वा - विकल्प. से आत्मन् के स्थान पर विकल्प से अप्पाण भी (होता है)। सुप् (सु से सुप् तक के विभक्तिबोधक प्रत्यय) परे होने पर आत्मन् →अप्प के स्थान पर विकल्प से अप्पाण भी (होता है)। इस शब्द के रूप सभी विभक्तियों में अकारान्त शब्द की तरह चलेंगे।
46. इत्वद्वित्ववर्ज राजवदनादेशे 5/46
इत्वद्वित्ववर्ज राजवदनादेशे { (राजवत्) + (अन्) + (आदेशे) } { (इत्व) - (द्वित्व) - वर्ज - सिवाय राजवत् - राजन् के समान अन : नहीं आदेशे (आदेश) 7/1 इत्व, द्वित्व के सिवाय राजन् →राअ के समान (रूप) (चलेंगे) आदेश में नहीं। इत्व (राइणा सूत्र-5/43) द्वित्व (रण्णा सूत्र-5/42) के सिवाय आत्मन्→अप्प के रूप राजन→राअ के समान चलेंगे आदेश में नहीं। अर्थात अप्पाण आदेश होने पर रूप 'देव' के समान चलेंगे। 1. समास के अन्त में वर्ज 'सिवाय' के अर्थ में प्रयुक्त होता है। देखें संस्कृत हिन्दी कोश, वामन शिवराम आप्टे।
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वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1)
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