Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 31
________________ बहुवचन के प्रत्यय), ङस् (षष्ठी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर ‘णो' होता (राअ + जस्) - (राअ + णो) - राआणो' (प्रथमा बहुवचन) (राअ + शस्) - (राअ + णो) : राआणो' (द्वितीया बहुवचन) (राअ + ङस्) - (राअ + णो) - राइणो' (षष्ठी एकवचन) 1. सूत्र 5/44 से राअ → राआ हुआ है। 2. सूत्र 5/43 से राअ → राइ हुआ है। 39. शस एतु 5/39 शस एत् { (शसः) + (एत्) } शसः (शस्) 6/1 एत् (एत्) 1/1 शस् के स्थान पर एत् → 'ए' (होता है)। राजन् →राअ शब्द के शस् (द्वितीया बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर एत् →'ए' होता है। (राअ + शस्) - (राअ + ए) : राए (द्वितीया बहुवचन) 40. आमो णं 5/40 आमो णं { (आमः) + (ण) } आमः (आम्) 6/1 णं (णं) 1/1 आम् के स्थान पर 'ण' (होता है)। राजन् →राअ शब्द के आम् (षष्ठी बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर ‘णं' (होता है)। (राअ + आम्) - (राअ + ण) : राआणं (षष्ठी बहुवचन) 1. सूत्र 5/44 से राअ→राआ हुआ है। 41. टाणा 5/41 टाणा { (टा) - (णा) 1/1 } टा के स्थान पर 'णा' (होता है)। राजन्→राअ शब्द के टा (तृतीया एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर ‘णा' होता है। (24) वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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