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(राअ + टा) - (राअ + णा) : राइणा (तृतीया एकवचन) 1. सूत्र 5/43 से राअ→राइ हुआ है।
ङसश्च द्वित्वं वान्त्यलोपश्च 5/42 ङसश्च द्वित्वं वान्त्यलोपश्च {(ङसः) + (च)} {(द्वित्वम्)+(वा) +(अन्त्य) +(लोपः)+(च)} ङसः (ङस्) 6/1 च - और द्वित्वम् (द्वित्व) 1/1 वा - विकल्प से { (अन्त्य) - (लोप) 1/1} . च : और ङस् का और (टा का) विकल्प से द्वित्व (होता है) और अन्त्य वर्ण का लोप (भी होता है)। राजन् →राअ शब्द के ङस् (षष्ठी एकवचन) के ‘णो' और टा (तृतीया एकवचन) के ‘णा' का विकल्प से द्वित्व होता है और अन्त्य वर्ण का लोप भी होता है। (राअ + ङस) : (राअ + णो) : रण्णो (षष्ठी एकवचन) - (राअ + टा) = (राअ + णा) : रण्णा (तृतीया एकवचन)
43.
इदद्वित्वे 5/43 इदद्वित्वे { (इत्) + (अ) + (द्वित्वे) } इत् (इत्) 1/1. अ : नहीं द्वित्वे (द्वित्व) 7/1 द्वित्व नहीं होने पर इत्→ इ (होता है)। राजन् →राअ शब्द के ङस् (षष्ठी एकवचन का प्रत्यय) और टा (तृतीया एकवचन का प्रत्यय) को द्वित्व न होने की स्थिति में अन्त्य वर्ण को इत्-→इ होता है। (राअ + ङस्) - (राअ + णो) : राइणो (षष्ठी एकवचन) . (राअ + टा) : (राअ + णा) : राइणा' (तृतीया एकवचन) 1. सूत्र 5/38 से डस् : णो हुआ है। 2. सूत्र 5/41 से टा : णा हुआ है।
44.
आ णोणमोरङसि 5/44 आ णोणमोरङसि आ { (णो) + (णमोः) + (अ) + (ङसि) }
वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1)
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