Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 18
________________ 7. भ्यसो हिन्तो सुन्तो 5/7 भ्यसो हिन्तो सुन्तो { (भ्यसः) + (हिन्तो)} सुन्तो भ्यसः (भ्यस्) 6/1 हिन्तो (हिन्तो) 1/1 सुन्तो (सुन्तो) 1/1 भ्यस् के स्थान पर 'हिन्तो', 'सुन्तो' (होते हैं)। अकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे भ्यस् (पंचमी बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर 'हिन्तो', 'सुन्तो' होते हैं। (देव+भ्यस्) = (देव + हिन्तो, सुन्तो) - देवाहिन्तो,देवासुन्तो,देवेहिन्तो,देवेसुन्तो (पंचमी बहुवचन) 1. सूत्र 5/12 से मूल शब्द के अन्त्य अ का 'आ' और 'ए' हुआ है। 8. स्सो उसः 5/8 स्सो ङसः { (स्सः) + (ङसः)} स्सः (स्स) 1/1 ङसः (डस्) 6/1 ङस् के स्थान पर 'स्स' (होता है)। अकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे डस् (षष्ठी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर 'स्स' होता है। (देव + ङस्) - (देव + स्स) देवस्स (षष्ठी एकवचन) 9. डेरेम्मी 5/9 डेरेम्मी { (उः) + (ए) + (म्मी) } .: (ङि) 6/1 { (ए) - (म्मि) 1/2 } ङि के स्थान पर 'ए' और 'म्मि' (होते हैं)। अकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे ङि (सप्तमी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर 'ए' और 'म्मि' होते हैं। (देव + ङि) = (देव + ए, म्मि) = देवे, देवम्मि (सप्तमी एकवचन) 10. सुपः सुः 5/10 सुपः (सुप्) 6/1 सुः (सु) 1/1 सुप् के स्थान पर 'सु' (होता है)। अकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे सुप् (सप्तमी बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1) (11) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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