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15. ङसो वा 5/15
ङसो वा { (ङसः ) + (वा) } ङसः (ङस्) 6/1 वा - विकल्प से ङस् के स्थान पर विकल्प से ('णो' होता है)। इ, ईकारान्त और उ, ऊकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे ङस् (षष्ठी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से ‘णो' होता है। (हरि + ङस्) : (हरि + णो) : हरिणो (षष्ठी एकवचन) (गामणी + ङस्) - (गामणी + णो) : गामणीणो (षष्ठी एकवचन) (साहु + ङस्) - (साहु + णो) : साहुणो (षष्ठी एकवचन) (सयंभू + ङस्) (सयंभू + णो) : सयंभूणो (षष्ठी एकवचन)
16. · जसश्च ओ यूत्वम् 5/16
जसश्च ओ यूत्वम् { (जसः) + (च) } ओ { (ई) + (ऊत्वम्) } . जसः (जस्) 6/1 च - और ओ (ओ) 1/1 (ई) - (ऊत्व) 1/1} जस् के स्थान पर 'ओ' (होता है साथ ही अन्त्य स्वर) ई और ऊत्व-→ऊ (होता है) और (णो भी होता है)। ' इकारान्त और उकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे जस् (प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर 'ओ' होता है तथा शब्दों के अन्तिम इ और उ को ई
और ऊ हो जाता है और ‘णो' प्रत्यय भी होता है। (हरि + जस्) - (हरी + ओ) : हरीओ (प्रथमा बहुवचन) (साहु + जस्) (साहू + ओ) : साहूओ ( प्रथमा बहुवचन) (हरि + जस्) (हरि + णो) : हरिणो (प्रथमा बहुवचन) (साहु + जस्) : (साहु + णो) : साहुणो ( प्रथमा बहुवचन)
17. टाणा 5/17
टाणा { (टा) - (णा) 1/1 } टा के स्थान पर ‘णा' (होता है)। इ, ईकारान्त और उ, ऊकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे टा (तृतीया एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर 'णा' होता है।
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वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1)
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