Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 24
________________ (बहू + अम्) ( बहु + अम्) बहु * ( द्वितीया एकवचन ) * सूत्र 5/3 से अम् के अ का लोप और 4 / 12 से पदान्त म् का अनुस्वार हुआ है। 22. टाङस्ङीनामिदेददातः 5/22 टाङस्ङीनामिदेददातः {(टा) + (ङस्) + ( ङीनाम्) + ( इत्) + (एत्) + (अत्) + (आतः ) } { (टा) - (ङस्) - (ङि) 6/3 } { ( इत्) - ( एत्) - (अत्) - (आत्) 1 / 3} टा, ङस् और ङि के स्थान पर इत् 'इ', एत् 'ए', अत् आत् → 'आ' ( होते हैं ) । 'अ', स्त्रीलिंग शब्दों में टा ( तृतीया एकवचन का प्रत्यय), ङस् (षष्ठी एकवचन का प्रत्यय) और ङि ( सप्तमी एकवचन का प्रत्यय) के स्थान पर इत् → 'इ', एत्→‘ए’,अत्→‘अ', आत् 'आ' होते हैं । तृतीया एकवचन ( कहा + टा ) = ( कहा + इ, ए ) 1 ( मइ + टा ) ( लच्छी + टा) こ ( धेणु+टा ) ( बहू + टा. ) (धेणु+ङस्) ( बहू + ङस् ) Jain Education International = (मइ + अ, आ, इ, ए ) ( लच्छी+अ, आ, इ, ए) こ こ こ षष्ठी एकवचन ( कहा + ङस् ) = ( कहा + इ, ए ) 1 ( मइ + ङस् ) (लच्छी+ङस्) こ ( धेणु+अ, आ, इ, ए) (बहू + अ, आ, इ, ए) वररुचिप्राकृतप्रकाश ( भाग 1 ) - こ こ こ = (मइ + अ, आ, इ, ए) こ ( लच्छी +अ, आ, इ, ए) = कहाइ, कहाए मइअ, मइआ, मइइ, मइए लच्छीअ, लच्छीआ, लच्छीइ, कहाइ, कहाए मइअ, मइआ, मइइ, मइए लच्छीअ, लच्छीआ, लच्छीइ, लच्छीए こ (धेणु + अ, आ, इ, ए ) = घेणुअ, घेणुआ, घेणुइ, धेणुए こ (बहू + अ, आ, इ, ए) - बहूअ, बहूआ, बहूइ, बहूए लच्छी घेणुअ, घेणुआ, धेणुइ, घेणुए बहूअ, बहूआ, बहूइ, बहूए For Personal & Private Use Only (17) www.jainelibrary.org

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