________________
28.
आमन्त्रण (अर्थ) में सु (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) परे होने पर 'ओत्व', 'दीर्घ', 'बिन्दु' नहीं (होते ) ।
आमन्त्रण ( सम्बोधन अर्थ) में सु (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय ) परे होने पर ओत्व→ओ (अकारान्त पुल्लिंग एकवचन में लगनेवाला प्रत्यय), दीर्घ (इकारान्त शब्दों में प्रयुक्त एकवचन का प्रत्यय) और बिन्दु ( नपुंसकलिंग शब्दों में प्रयुक्त एकवचन का प्रत्यय) नहीं होते ।
1
(देव + सु = हे देव
( हरि + सु ) ( कमल + सु)
(20)
こ
नोट: इसी सूत्र के आधार से इकारान्त, उकारान्त पु., नपुं, स्त्री. शब्दों के रूपों को भी समझना चाहिए ।
हे हरि
हे कमल
(हे देवो नहीं बनेगा)
( हे हरी नहीं बनेगा )
(हे कमलं नहीं बनेगा )
स्त्रियामात एत् 5 / 28
स्त्रियामात एत् { (स्त्रियाम्) + (आतः) + (एत्) }
स्त्रियाम् (स्त्री) 7/1 आतः (आत्) 6 / 1 एत् ( एत् ) 1 / 1
स्त्रीलिंग में आत्→‘आ’ के स्थान पर एत् 'ए' ( हो जाता है ) ।
स्त्रीलिंग सम्बोधन एकवचन में आकारान्त शब्द के आत् 'आ' के स्थान पर एत् → 'ए' हो जाता है ।
29. ईदूतोर्हस्व: 5/29 ईदूतोर्हस्वः { ( ईत्) + (ऊत्) 6/2 }
( कहा + सु ) = ( कहा + ए ) हे कहे ( सम्बोधन एकवचन )
こ
Jain Education International
{ ( ईत्) + (ऊतोः) + (ह्रस्वः)}
ह्रस्वः (ह्रस्व) 1/1
ईत् ई और ऊत् ऊ के स्थान पर हस्व (इ, उ होता है ) । सम्बोधन एकवचन में ईकारान्त तथा ऊकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के स्थान पर
हस्व इ और उ हो जाता है ।
( लच्छी + सु ) ( बहू + सु )
1. मनोरमा, संजीवनी टीका के आधार पर ।
हे लच्छि ( सम्बोधन एकवचन ) (सु का लोप होगा ) हे बहु ( सम्बोधन एकवचन ) ( सु का लोप होगा ) 1
वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1 )
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org