Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 17
________________ टामोर्णः 5/4 टामोर्णः { (टा) + (आमोः) + (णः)} . { (टा) - (आम्) 6/2} णः (ण) 1/1 टा और आम् के स्थान पर 'ण' (होता है)। अकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे टा ( तृतीया एकवचन के प्रत्यय) और आम् (षष्ठी बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर 'ण' होता है। (देव + टा) : (देव + ण) - देवेण (तृतीया एकवचन) . (देव + आम्) : (देव + ण) : देवाण (षष्ठी बहुवचन) 1. सूत्र 5/12 से मूलशब्द के अन्त्य 'अ' का 'ए' हुआ है। 2. सूत्र 5/11 से मूलशब्द के अन्त्य 'अ' का 'आ' हुआ है। . 5. भिसो हिं 5/5 भिसो हिं { (भिसः) + (हिं) } भिसः (भिस्) 6/1 हिं (हिं) 1/1 भिस् के स्थान पर 'हिं' (होता है)। अकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे भिस् ( तृतीया बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर 'हिं' होता है। (देव + भिस्) : (देव + हिं) - देवेहिं (तृतीया बहुवचन) 1. सूत्र 5/12 से मूलशब्द के अन्त्य 'अ' का 'ए' हुआ है। ङसेरादोदुहयः 5/6 ङसेरादोदुहयः { (ङसेः) + (आ) + (दो) + (दु) + (हयः) } ङसेः (ङसि) 6/1 { (आ) - (दो) - (दु) - (हि) 1/3 } ङसि के स्थान पर 'आ', 'दो', 'दु', 'हि' (होते हैं)। अकारान्त पुल्लिंग शब्दों से परे ङसि ( पंचमी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर 'आ', 'दो', 'दु', 'हि' होते हैं। ( देव + ङसि ) : ( देव + आ,दो,दु,हि ) - देवा, देवादो, देवादु देवाहि (पंचमी एकवचन) 1. सूत्र 5/11 से मूलशब्द के अन्त्य 'अ' का 'आ' हुआ है। (10) वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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