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चौथा भाग : पहला कोष्ठक
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। ४. भूतपूर्व भमुनि ने सं० २००२ में ऐनक की सहायता के
बिना एवं लकड़ी की कलम से चार इच चौड़ा और नौ
च लम्बा एक पत्र लिखा । उसके दोनों ओर हजार अक्षर थे। उससे भी सूक्ष्मअक्षरों वाले दो पत्र पुनः लिखे । उनके एक वर्ग-इच में करीब १४०० अक्षर हैं ।
-धनमुनि ५. आशुलिपिकर्ता हिन्दी में प्रति मिनिट २३० शब्द तक
लिख सकते हैं । नई दिल्ली ३० जून केन्द्रीय सचिवालयहिन्दीपरिषद द्वारा आयोजित हिन्दी-आशुलिपिकर्ताओं की सातवीं प्रतियोगिता में यह प्रमाणित हुआ।
- हिन्दुस्तान २१ जनवरी १९७०
(ख) वस्त्र बुनने को अद्भुत कला१. ढाके-चन्देरी आदि की, कारीगरी अब है. कहां ?
हा । आज हिन्दुनारियों की, कुशलता सब है कहां? थी वह कला या क्या कि,ऐसी सूक्ष्म थी अनमोल थी । सौ हाथ लम्बे सूत की, बस आध रत्ती तोल थी'। रक्खा नली में बांस की, जो थान कपड़े का नया।
१. काका जिले के सुनारी गांव में हाथ के कते हुए १७५ हाथ
सूत का वजन एक रत्ती था, तथा आधसेर रुई में २५० मील लम्बा सूत बनाया गया था
—ढाका रेजिडेन्ट, सन् १८४६ से उधत