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| 143 होता है कि सातवाहनों का मूल स्थान पश्चिमी भारत ही था... सातवाहन राजों के वर्ण या जाति के विषय में जैन दन्तकथा की माझी बड़ी उत्सभनभरी और प्रद्धय है एक दन्तकथा कहती है कि सातवाहन चार वर्षीय कुमारिका के पेट में से जन्मा था; दूसरी उसे यक्ष की वंशज कहती है । शिलालेख साक्षी सातवाहन को निश्चय ही ब्राह्मण बताती है ।'
खारवेल के इस पश्चिमी प्रक्रमण का परिणाम यह हुआ कि सातकर्णी यद्यपि पराजित तो नहीं हुआ, फिर भी खारवेल को मूनिक राजधानी हस्तगत करके ही सन्तोष कर लेना पड़ा था। इसको उसने काश्यप क्षत्रियों की सहायता करने के लिए ही हस्तगत किया था। * ये कि बहुत संभव है कि सातकर्णी के अधीन मित्र थे और ऐसा लगता है कि मूषिक देश पैठण और गोंडवाना के बीच में होना चाहिए। जैसे कोसल उड़ीसा के उत्तर पश्चिम में है, वैसे ही मूषिक देश भी उसके पश्चिम में ही लगा हुया होना चाहिए।
पांच पंक्ति हमें इससे अधिक कुछ भी नहीं बताती है कि खारवेल ने तीसरे वर्ष में संगीत, नृत्य प्रादि ललितकलायों में प्रवीणता प्राप्त की ।"
छठी पंक्ति कुछ महत्व की है। इसी में हम नन्दयुग का कुछ उल्लेख पाते हैं । पहले तो यह कहा गया है कि सातकर्णी और भूपिकों के विरुद्ध अभियान करने के पश्चात् सारखे ने फिर अभियान पश्चिमी भारत की और किया। अपने राज्यकाल के चौथे वर्ष में उसने मराठा देश के राष्ट्रकों और बराड़ के भोजकों को नतशिर कराया जो कि प्रांनों के करद थे ।
शिलालेज के अनुसार उसने दक्खन के बांध राज्यों पर दो बार अभियान किया था। राज्यकाल के दूसरे वर्ष में उसने अश्व, गज, पैदल और रथों की भारी सेना मातकर्णी के विरुद्ध पश्चिम में भेजी; और चौथे वर्ष में उसने मराठा देश के राष्ट्रकों और बराड़ के भोजकों को जो कि दोनों ही प्रतिष्ठान के प्रांध्र राजा के अधीन थे, नशिर कराया 15 ये चढ़ाइयां निःसन्देह दवखरण की सार्वभौम सत्ता के चुनौती रूप थी, परन्तु इन्हें स्वरक्षा की सीमा से बाहर तक नहीं चलाया गया। प्रो. रेप्सन के शब्दों में "हम कल्पना कर सकते हैं कि खारवेल की सेना महानदी की घाटी, प्रौर उसकी सीमान्त को पार कर गोदावरी और उसकी शाखा वैधगंगा एवं वर्धा नदी की तराई को पार कर गई थी। इस प्रकार उसकी सेना ने उस क्षेत्र में चढ़ाई की कि जिसे ग्राघ्र राजा अपने राज्य में ही मानता था। परन्तु न तो यह कहा गया है और न ऐसा अनुमान करने का ही कोई ग्राधार है कि कलिंग और आंध्र की सेनाओं की वस्तुतः कोई मुठभेड़ इन दोनों चढ़ाइयों में से किसी में भी हुई ग्रथवा उनसे कोई महत्वपूर्ण राजनयिक परिणाम निकले थे।"
यह हम खारवेल की विजयों की महत्ता कम करने के उद्ध ेश से नहीं कहते हैं इसमें सन्देह ही नहीं हैं कि अपने समय की राजनयिक घटनाओं में बहादुर योद्धा स्वरूप से उसने खूब ही हिस्सा लिया था, परन्तु इससे अधिक
1. राएसी, बम्बई - शाखा पत्रिका (नई माला) सं. 3, पृ. 49-521
2. विपत्रिका सं. 4. पू. 398 और सं. 13, पृ. 2261
3. देखो वही ।
4. वही, सं. 4, पृ. 399 I
5. हैद्राबाद के श्रीरंगाबाद जिले में गोदावरी के उत्तरी तट स्थित आधुनिक पेठा, साहित्य में राजा सातकर्णी शक्ति कुमार की राजधानी रूप से प्रख्यात है।
सातवाहन या शालिवाहा) और उसने पुत्र
6. रेशन, केहि भाग 1, पृ. 536 1
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