Book Title: Uttar Bharat me Jain Dharm
Author(s): Chimanlal J Shah, Kasturmal Banthiya
Publisher: Sardarmal Munot Kuchaman

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Page 240
________________ [ 229 लासेन, पेपर्स प्रान शत्रु जय एण्ड दी जैनाज । इण्डि एण्टी, सं. 2, 1874, पृ. 193 आदि, 258 आदि । लायन, ई., बेलीगेन र जैना-लिटरेर ज प्रांदेन लिटरेतूरसेन इण्डियेन्स ग्रास्टेस सिक्सी एम कान्ग्रेस, ट्रियसी में पार्टी सेक्शन, 2 पायेंगे लीडे 1885, पृ. 467 " लांग, रेवड जे. नोट्स एण्ड क्वेरीज सज्येस्टेड बाइ ए विजिट टू उड़ीसा इन जैन्युधरी 1859 एसो पत्रिका, #. 28, 1859, q. 185 wife 1 विजयधर्मसूरि जैनतत्वइन, भण्डारकर कमोमरेशन वाल्यूम, पूना 1917, पृ. 139 प्रादि । क्लिफोर्ड, कैप्टेन, ग्राफ दी किंग्ज ग्राफ मगम: देवर क्रोनोलोजी, एशियाटिक रिसचेंज, पुस्त 9 1819, पृ. 82 आदि । विल्सन, एम. एच. एन एसे धान दी हिन्दू हिस्ट्री ग्राफ काश्मीर एशियाटिक रिसचेंज, पुस्तक 15, 1825, पृ. 1 यादि। पेयर दी फेड लिटरेचर ग्राफ दी जैनाज इण्डि एण्टी. मं. 17, 1888 1 , Jain Education International 18, 1889, पृ. 181 आदि, 269 आदि; सं. 19, 1890, पृ. 18 urfa, 170 rf, 365 fa; 21, 1892. q. 14 210 आदि, 293 आदि, 327 आदि 369 आदि । समाप्त * For Private & Personal Use Only 279 यादि 339 आदि मं. 62 आदि; सं. 20, 1891, पृ. rfa, 106 rfa, 177 arfe, www.jainelibrary.org

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