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इस संक्षिप्त प्रास्ताविक कथन के बाद अब हम जैनों के पवित्र धर्मग्रन्थ याने सिद्धान्त का विचार करें कि जो उनकी मान्यतानुसार उसी युग का है जिसका कि हम वहां विचार कर रहे हैं हम पहले भी देख चुके हैं और धागे इसी प्रध्याय में फिर देखेंगे कि उनके साहित्यिक वारसे के विषय में जैनों की दन्तकथा का हम अविश्वास नहीं कर सकते हैं। फिर भी यहां हम मात्र सिद्धान्त ग्रन्थों की एक सूची देते हैं कि जिनका स्वीकार ब्यैवर, विट्रनिट्ज, 2 शार्पेटियर, शापेंटियर यादि ने घोड़े बहुत अंश में कर लिया है :
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1. चौदह पुव्वा या पूर्व (आज अनुपलब्ध) :
1. उप्पाय ( उत्पाद) ।
3. वौरियप्पवाय (वीर्यप्रवाद) ।
5. नारणप्पवाय (ज्ञानप्रवाद) ।
7. प्रायप्पवाय (आत्मप्रवाद) ।
9. पञ्चक्खाणप्पवाय (प्रत्याख्यानप्रवाद |
11. प्रबंध (मध्य) ।
13. किरियाविशाल (क्रियाविशाल ) ।
2. बारह अंग
3. बारह उपांग (बारह अंगों के अनुरूप)
1. उबवाइय (धोपपातिक)
3. जीवाभिगम ।
5. सूरियपति सूर्यप्रज्ञप्ति
7 पति चन्द्र प्रज्ञप्ति) ।
9. कप्पावदंसियाओ (कल्पावतंसिकाः) ।
11. पुष्पचूलि श्राश्रो (पुष्पचूलिकाः) ।
2. अगेशिय अथवा ममाशिय ? अशायरणीय) 4 4. अत्थिनत्थिष्पवाय ( प्रस्तिनास्तिप्रवाद) ।
6. सच्चप्पवाय (सत्यप्रवाद) ।
8. कम्मप्पवाय ( कर्मप्रवाद) ।
10. विजयवाय (विधियानुप्रवाद)।
1. आयार ( आचार) ।
3. ठारण (स्थान) ।
5. वियापयति (व्याख्याप्रज्ञप्ति), जो 6. नायाधम्मकहाओ ( ज्ञाताधर्मकथा : ) । 8. पंतगडाम्रो (अ ंतकृतदशा) | 10. पहायागरणाई ( प्रश्नव्याकरणानि ) । 12. दिवा (ष्टिवाद), ग्राज उपलब्ध नहीं है।
12. पारगाउम (प्रारणायुः) ।
14. लोगविदुसार (लोकबिंदुसार) ।
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2. सूयगड (सूत्रकृत) 1 4. समवाय
सामान्यतया भगवती कहा जाता है।
7. उवासमदसाम्रो ( उपासकदशाः) ।
9. प्रणुत्तरोववाइयदसाम्रो (अनुत्तरोपपातिकदशाः) | 11. विवागसूयम् (विपाकसूत्रम्) ।
2. रायपसेरिगज्ज (राजप्रश्नीय) । 4. पनवरणा (प्रज्ञापना) ।
6. जंबूद्दीवपण्णत्ति (जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति) । 8. निर्यावली ।
10. पुष्पी ग्राम्रो ( पुष्पिकाः) ।
12. afgeerst (afayeurr:) |
1. देखो व्यंवर, इण्डि एण्टी, पुस्त. 17, पृ. 279 आदि, 339 आदि; पुस्त. 18. पृ. 181 बादि 369 प्रादि पुस्त. 19, पृ. 62 आदि; पुस्त. 20, पृ. 170 आदि, 365 आदि; और पुस्त. 21, पृ. 14 आदि, 106 श्रादि, 177 श्रादि, 293 आदि, 327 आदि, 369 आदि ।
2. देखो बिनिट्ज शिष्ट डेर इण्डिशन लिटरेटूर, भाग 2, पू. 291 प्रादि ।
3. देखो शार्पेटियर, वही, प्रस्ता. पृ. 9 आदि; बेल्वलकर, ब्रह्मसूताज ग्राफ बादरायाण, पृ. 107 आदि ।
4. देखो शार्पेटियर, वही प्रस्ता. पृ. 12
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