Book Title: Tattvavetta
Author(s): Pukhraj Sharma
Publisher: Hit Satka Gyanmandir

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Page 6
________________ प्राक् कथन ___सर्व प्रथम मैं उस परमेश्वर परमात्मा को सादर नमस्कार करके अपने पूज्य आदरणीय गुरुदेव श्रीमद्विजयहिमाचलसूरीश्वरजी महाराज को सविधि वंदना करते हुए उनका आभार मानता हूं जिन्होंने मुझे इस कार्य के लिये उत्साहित किया। पाठकमहोदय ! मैं न तो कोई लेखक हूं और न कोई इतिहासकार ही। पर गुरुकृपा से मैने जो कुछ मी लिख कर आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया है वह आपके समक्ष ही है। जब मैंने यह कार्य प्रारंभ किया उस समय प्रथम तो कुछ हिचका पर गुरुदेव के आशीर्वाद और उनके सुयोग्य शिष्य मुमुक्षु श्री भव्यानन्दविजयजी ने मुझे उत्साहित कर इस जीवनी को लिखने के लिये विवश किया। मैं भी उनका आग्रह कैसे टाल सकता था ? इस कार्य में मैं प्रवर्तक श्री गुमानविजयजी महाराज तथा मुमुक्षु श्री भव्यानन्दविजयजी व्या. साहित्यरत्न का महान आभारी हूं जिन्होंने कि इस 'तत्त्ववेत्ता' सम्बन्धी सारा मेटर-साहित्य मुझे खोज खोज कर दिया । तथापि मानव त्रुटी का पात्र होता है । अतः इस पुस्तक में भी कई त्रुटियां का होना सम्भव है । आशा है पाठकगण इसे आदि से अन्त तक पढ़कर मुझे इसकी त्रुटियें दर्शाने का कष्ट करेंगे तो मैं उनका बडा कृतज्ञ होउंगा । और भविष्य में उन त्रुटियों को सुधारने का प्रयत्न कर फिर कुछ इसी प्रकार की सेवा करने का साहस कर सकुंगा । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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