Book Title: Tattvavetta
Author(s): Pukhraj Sharma
Publisher: Hit Satka Gyanmandir

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Page 45
________________ विशेष विवरण : ३३ : पिता की स्वीकृति लेकर आयड नामक तीर्थस्थान पर श्री संघ के समक्ष दोनो भाविकों को दीक्षा प्रदान की । उनके नाम क्रमशः क्षमाविजय तथा कस्तूरविजय रखे गये । अब आपने मार्गशीर्ष शुक्ला पंचमी को अपने तीन शिष्यों के साथ तथा आपके गुरुभ्राता प्रेमविजयजी आदि ठा. ६ के साथ व मूलचंदजी महाराज के शिष्य श्री तिलकविजयजी आदि ठा. ४ के साथ केसरियाजी की ओर प्रयाण किया । यह तीर्थ बहुत प्राचीन हैं । यहाँ सब के सब दर्शनार्थ आते है। हजारों कोशों से यात्री आते ही रहते है । लोग धुलेवा तथा कालिया बाबा के नाम से सम्बोधन भी करते है । इस पावन तीर्थ की यात्रा करके अब सब मुनिमण्डल के साथ साथ खैवाडा, हिम्मतनगर आदि छोटे बडे अनेक ग्रामों में घूमते हुए म्हेसाना पहुँचे । यहाँ कुछ समय की स्थिरता के पश्चात् आसपास के ग्रामों में होते हुए ज्येष्ठ शुदी प्रतिपदा के बाद विहार लम्बाना पडा । कारण कि अमदावाद वालों की विनती के वशीभूत हो चातुर्मास करना था | अब आप केवल चार ठाणों से प्रयाण करते हुए अषाढ शुद्ध प्रतिपदा को शानदार स्वागत के साथ आपने ३ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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