Book Title: Tattvavetta
Author(s): Pukhraj Sharma
Publisher: Hit Satka Gyanmandir

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Page 51
________________ विशेष विवरण आचार्यदेव के सद् प्रयत्नों से इस ज्ञानमंदिर का भवन भी नवीन बनवाया है, जो अभी जारी है । इस भवन में सब से लांचे एक विशाल कमरा है । यह कमरा ज्ञान की स्थापना के लिए है। कमरे के ऊपर चौमुखप्रासाद तथा अन्य छबियाँ होगी, जो दर्शनीय बनेगी । इस में सब तीर्थों के पट होगें। यह ज्ञानमंदिर एक अलग ढंग का होगा, जो कि एक उदाहरण रूप बनेगा। इसी प्रकार आपने अपने जीवन में कई स्थानो में अपने प्रभावशाली चातुर्मास किये थे । आज भी वहां के वृद्ध पुरुष समय समय पर याद किये बिना नहीं रहते है । उनका व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा था और उनकी भाषा भी इतनी मधुर थी कि प्रत्येक व्यक्ति एक बार उनके संसर्ग में आने के बाद उनका हो ही जाता। उस व्यक्ति की सदा यही इच्छा रहती कि मैं जितना अधिक पूज्य पंन्यासजी का संसर्ग रख लाभ उठा सकू इतना ही मेरे लिये हितकर होगा। दूसरी उनके मुखसे एरी-गरी बातें न होकर सदा ही धर्मयुक्त-सामाजिक और देशभक्ति के सम्बन्ध की ही बातें होती थी। इस मुख्य कारणों से ही हर समय पूज्य पंन्यासजी के सामने १०-१५ व्यक्ति बैठे ही देखें जाते थे। विशेषता तो यह थी कि जैन भाईयों का आप के साथ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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