Book Title: Tattvavetta
Author(s): Pukhraj Sharma
Publisher: Hit Satka Gyanmandir

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Page 65
________________ उपसंहार : ५३: का भार उठाते हुए अपने जीवन को सफल बना सकें। अन्त में मैं उन महापुरुषों को धन्यवाद देकर इस जीवनी को समाप्त करता हूं जिन्होंने कि अपने पुत्र जैसे अनमोल रत्न को गुरु के चरणों में अर्पण कर सच्ची गुरुभक्ति का परिचय दिया। पाठकों से निवेदन है कि वे इस जीवनचरित्र से कुछ न कुछ अवश्य ही सद्भावना को ग्रहण कर जीवनी का पढना सार्थक बनावें, यही मंगल कामना!! समाप्त Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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