Book Title: Tattvavetta
Author(s): Pukhraj Sharma
Publisher: Hit Satka Gyanmandir

View full book text
Previous | Next

Page 62
________________ तत्ववेत्ता पादप्रक्षालन किया । इस दृश्य को देख कर सारी जनता की आँखें भी अश्रु बहाने लगी। स्वर्गगमन कालचक्र के सामने किसका जोर चल सकता है ? आखिर संवत १९९१ के भाद्रपद शुक्ला त्रयोदशी के दिवस आप ज्ञान-ध्यान मुद्रा में स्वर्ग सिधार गये। उस समय आप की आय ९२ वर्ष की थी। इस ९२ वर्ष की आयु में आपने अपना ७८ वर्ष का जीवन साधु-जीवन में ही बीताया। आपका अग्निसंस्कार घाणेराव से सादडी के रास्ते पर बडी धूमधाम से किया गया । हजारों की संख्या में लोग इस में सम्मीलित हुए। आप के अंतिम संस्कार के स्थान पर घाणेराव के निवासी श्री सागरमलजी की धर्मपत्नी की ओर से एक चबूतर बनवाया गया जो कि आज भी मौजुद व अच्छी अवस्था में है। घाणेराव नगर से तीन मील की दूरी पर श्रीमुच्छाला महावीरजी के वहां भी आप की छत्री व मूर्ति रोहिडानिवासी श्रेष्टिवर्य श्री वीराजी पनाजी की ओरसे धर्मशाला के अन्दर ही वर्गाचे के पास बनवाई गई। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70