Book Title: Tattvavetta
Author(s): Pukhraj Sharma
Publisher: Hit Satka Gyanmandir

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Page 59
________________ विशेष विवरण :४७: अलंकृत किये थे। ___ राजस्थान के सुप्रसिद्ध योगिराज श्री शान्तिसूरीश्वरजी को तथा उनके गुरुश्री तीर्थविजयजी को भी आपके ही करकमलों द्वारा बडी दीक्षा दीगई थी । अनेक मुनिराजों को आगम ग्रन्थों का अध्ययन करवाया था। ____ आपने अपने जीवन में कुपंथियों को कुपंथ से हटाने का पूर्ण प्रयत्न कर उन्हें सच्चे जैन धर्म का अनुयायी बनाने का भी श्रेयस्कर काम किया। कुपंथियों को शास्त्रार्थ उपदेश तथा और कोई सुयुक्ति से उन्हें समझाकर रास्ते पर लगाये । आपने अपने योग बल की शक्ति से कई ग्रामों के अशान्तिमय वातावरण तथा वहाँ फैले हुए महान् उपद्रवों को शान्त किया । जिस में घाणेराव तो आप का सदा ही ऋणी रहेगा। कितनी ही बार शान्तिस्नात्र पढा करके मरगी जैसे भयंकर उपद्रवों को शान्त किया। इसका प्रमाण तो यही है कि आज भी वहाँ की जनता गुरुदेव का उपकार मानती हुई उनके गुणों का यशोगान करती है। व्यक्तिगत तो आपने कई जीवों पर उपकार किया था। आज मुख्य रूपसे मेवाड, मारवाड और गोडवाड की जनता आपके उपकारों की सरा हना किये बिना नहीं रह सकती। जब कभी यह प्रसंग चलता है तो गद्गद् हो जाते है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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