Book Title: Tattvavetta
Author(s): Pukhraj Sharma
Publisher: Hit Satka Gyanmandir

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Page 55
________________ विशेष विवरण :४३: हुआ था । अथाग परिश्रम द्वारा आप एक उदाहरणरूप जनता के समक्ष इस ज्ञानमंदिर को रखना चाहते थे । घाणेराव पधारकर आप पुनः ज्ञानमंदिर के कार्य में जुट गये। बडे बडे कठिन परिश्रम कर आपने पुराने ग्रन्थों की खोज की। इस कार्य की वजहसे सं. १९७७ का चौमासा यहाँ पर ही किया। इस चातुर्मास में विसलपुर के श्रावक आगामी चातुर्मास की विनती लेकरके आये । आग्रहपूर्ण विनती को आपने भी स्वीकार कर ली । इसी बीच में पाद रली प्रतिष्ठा के लिये आमंत्रण आया । आप विहार कर सीधे . पादरली पधारे । यहाँ के भव्य मंदिर की शानदार प्रतिष्ठा करवाई। उस जमाने के समय में भी प्रतिष्ठा के प्रसंग पर एक लाख पचास हजार रुपये की आमदानी हुई । यहाँ से विहार कर विसलपुर पधारे। संवत् १९७८ का चातुर्मास धर्मदेशना द्वारा समाप्त किया। यहाँ पर आगामी चातुर्मास के लिये कईएक गाँवों की विनती आई । जिस में आपने १९७९-८०-८१ का तीन चौमासा क्रमशः खिवाणदी, रानीगांव और घाणेराव में किये। रानी के चौमासा में आप को जीर्ण साहित्य खूब प्राप्त हुआ। उसे ले घाणेराव छोड़ कर सीधे मेवाड के वोराट प्रान्त में साथिया पधारे । यहाँ की मंदिरकी बड़ी धूमधाम से प्रतिष्ठा करवाई । यहाँ से गामगुडा संघ की विनती को मान देकर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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