Book Title: Tattvavetta
Author(s): Pukhraj Sharma
Publisher: Hit Satka Gyanmandir

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Page 49
________________ विशेष विवरण :३७: आग्रहपूर्ण विनती कर के रोक दिये। ___ संवत १९४९ का चातुर्मास आपने यही चाबाई का नामवाली पूर्वपरिचित धर्मशाला में ही किया । चातुर्मास की समाप्ति के पश्चात् आपने पुष्करणा ब्राह्मण जाति के एक भाई को श्री संघ के समक्ष दीक्षा दी। उनका नाम गुलाबविजय रख अपने शिष्य के नाम से जाहिर किया। इस तरह अब आप पांच ठाणा से शोभित होने लगे। यहाँ से आप विहार कर मावली होते हुए चितौडगढ़ पहुंचे। यहाँको यात्रा के बाद आप सिधे नाथद्वारा, काँकरोली, चारभुजा, साथिया आदि गाँवों में परिभ्रमण करते हुए देसुरी पधारें। यहाँ पर आपकी अगवानी करने को घाणेराव का श्री संघ आया, जिसमें 'हींगड' एवं 'खीचिया' आदि श्रावकों ने मुख्य भाग लिया। आप श्री संघ के आग्रह पर संघ के साथ ही विहार कर घागेराव पधारें। संघ ने शानदार उत्सव के साथ नगर में प्रवेश कराया । चातुर्मास की विनती की गई । संवत् १९५० का चातुर्मास घाणेराव में ही किया। यहाँ के भक्तों ने बडी भक्ति दर्शाई । चातुर्मास के बाद में सेवंत्री (मेवाड ) के निवासी वरदीचंदजी पोरवाड नामक एक भाई आपके पास दीक्षा लेने आये। उनके माता पिता की अनुमतिपूर्वक श्रीसंघ की उपस्थिति में दीक्षा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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