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तत्त्ववेत्ता
भी बडे बडे कर्मचारियों के साथ वहां पधारें और राणाजी ने आपका स्वागत किया। पीछे यथायोग्य स्थान पर सब के बैठ जाने पर आपने मांगलिक रूप प्रवचन दिया। राणाजी आपके दर्शन एवं उपदेश से बड़े प्रसन्न हुए। ___ उदयपुर से श्री केसरियाजी केवल ४४ माईल दूर है। यहां से केसरिया जाने का बडा साधन है । अतः उदयपुर में केसरियाजी के यात्रियों का तांतांसा लगा रहता है । जो भी यात्री केसरियाजी की यात्रा जाता है वह उदयपुर अवश्य ही देखने का लाभ उठाता है। ___ इसी समय अमदावादवाले श्री हीरामल्ल नामक श्रावक आपके पास अमदावाद में चातुर्मास की विनती के लिये आया । हीरामल्ल ने आप को बहुत ही आग्रहपूर्वक विनती की। विवश हो गुरुदेव को उसकी स्वीकृति देनी पडी । गुरुदेव की स्वीकृति होने के बाद हीरामल्ल श्रीकेसरियाजी तथा पंचतीर्थी की यात्रा करता हुआ घर चला गया। ___ इस चातुर्मास में पूज्य पंन्यासजी महाराज की वैराग्यवाहिनी मधुर देशना से प्रभावित होकर दो श्रावक-जो कि खेमराज तथा किस्तुरचंद ने दीक्षा की भावना आपके पास प्रकट की। अतः पंन्यासजी महाराजने उनके माता
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