Book Title: Tattvavetta
Author(s): Pukhraj Sharma
Publisher: Hit Satka Gyanmandir

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Page 13
________________ तत्त्ववेत्ता रूपरेखा संसारचक्र अनादिकाल से ही चला आ रहा है । इस चक्र की तीक्ष्ण धारों के असंख्य मानव, पशु, पक्षी आदि ग्रास बन गये । जिनका कि आज इस संसार के समक्ष नामो निशान तक न रहा। प्रत्येक प्राणी का जन्म मरण के हेतु ही होता है। पर जीवन उनका ही सार्थक है जिन्होंने कि अपने जीवन को Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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