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योग और गुरुदेव का स्वर्ग
: १७ : हितविजयजी को उनके गुरु की अनुपस्थिति में योग कराये। इस तरह आपने पंन्यासजी महाराजश्री उम्मेदविजयजी के पास रहकर शेष के योग समाप्त किये । अब आप योगकार्य से निवृत्त हो चूके थे अत: अब आपने धार्मिक ग्रन्थों का पुनः अवलोकन प्रारम्भ किया। ___ अमदावाद में विराजते आपको काफि वर्ष हो चूके थे, अतः अब आपकी इच्छा विहार की जागृत हुई । अन्य साधु समुदाय के साथ अमदावाद से प्रस्थान कर सर्व बहार के गांवों में उपरीयालाजी नामक तीर्थस्थान पर चातुर्मास किया। यहां श्रावकों के घर बहुत कम होने पर भी आपने तीर्थस्थान के निमित्त चातुर्मास किया। इस के पश्चात् विरमगाम, पाटडी, बजाणा, ध्रांगध्रा, हलवद, बाटाबन्दर, लालाभगत का सायला आदि ग्रामों में घूमते हुए धर्मप्रचार करते हुए और किसी किसी जगह चातुर्मास भी करके पुनः अमदाबाद पधारें । वहां पधारने पर श्री संघने आपका शानदार स्वागत किया, जिसमें श्रमण संघ भी सामिल था । और आप को उसी वीर के उपाश्रय में उतारे गये।
आपने संवत् १९३० का चातुर्मास अमदाबाद में ही किया। इस साल आपके पास चन्दनमल नामक एक धर्मानु
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