Book Title: Tattvavetta
Author(s): Pukhraj Sharma
Publisher: Hit Satka Gyanmandir

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Page 38
________________ :२६: तत्त्ववेत्ता कालन्द्री संघ का अधिक आग्रह होने से आपने आगामी चातुर्मास कालन्द्री में ही किया । इस चातुर्मास के पश्चात् आपने इस प्रान्त में क्रमशः पीन्डवारा, पोशालिया, पालडी आदि ग्रामों में चातुर्मास करते करते आप मुख्य मारवाड के गोडवाड प्रान्त में पधारें । यहाँ आपने जोरों से धर्मप्रचार प्रारम्भ किया । पर यहाँ तो कुछ और ही नवीनता मालूम हुई। न तो साधु लोगों का सन्मान नजर आया और न उनके साथ सद्व्यवहार ही । इसका कारण ज्ञात करने पर आपको मालूम हुआ कि यहां तो नाम मात्र के यति लोगों की बोलबाला है । " उन्होंने अपने वास्तविक यतिपन को खूटी पर टांग पर धर्म के नाम पर कई धर्तिग और मायाजाल फैला रखे है। भोली जनता इनके इन पाखण्डों के शिकार बन कर अपना सर्वस्व धर्म के ठेकेदारों के निमित्त लूटाना प्रारम्भ कर दिया है ।" यह सब कुछ आपसे सहन न हुआ। अब आप गोडवाड के प्रमुखनगर बाली में आपने अपने आगामी चातुर्मास का बिना किसी बिनती के ही इन यतिलोगो से लोहा लेने के निमित्त करने का दृढ निश्चय कर लिया। अब तो आपको साधु ही नहीं बल्कि 'पीलिया पीलिया' जैसे घृणित शब्दों से लोग पुकारने लगे। कारण कि यह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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