Book Title: Subodh Sanskrit Dhatu Rupavali Part 01
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Tattvatrai Prakashan

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Page 43
________________ वर्तसे वर्तध्वे वर्तते वते वर्तेथाम् वर्तेताम् वृत् - 8oj, वर्त વર્તમાનકાળ હસ્તન ભૂતકાળ वर्तावहे वर्तामहे | अवर्ते अवर्तावहि अवर्तामहि वर्तेथे अवर्तथाः अवर्तेथाम् अवर्तध्वम् वर्तेते वर्तन्ते अवर्तत अवर्तेताम् अवर्तन्त આજ્ઞાર્થ વિધ્યર્થ वर्तावहै वर्तामहै वर्तेय वर्तेवहि वर्तेमहि वर्तस्व वर्तध्वम् वर्तेथाः वर्तेयाथाम् वर्तेध्वम् वर्तताम् वर्तन्ताम् वर्तेत वर्तेयाताम् वर्तेरन् सम् + वृध् - समृद्ध यj, वधj વર્તમાનકાળ હસ્તન ભૂતકાળ संवर्धे संवर्धावहे संवर्धामहे समवर्धे समवर्धावहि समवर्धामहि संवर्धसे संवर्धेथे संवर्धध्वे समवर्धथा: समदर्धेथाम् समवर्धध्वम् संवर्धते मंवर्धते संवर्धन्ते समवर्धत समवर्धेताम् समवर्धन्त આજ્ઞાર્થ વિધ્યર્થ संवर्धे संवर्धावहै संवर्धामहै संवर्धय संवर्धेवहि संवर्धेमहि संवर्धस्व संवर्धेथाम् संवर्धध्वम् संवर्धथा: संवर्धेयाथाम् संवर्धध्वम् संवर्धताम् संवर्धेताम् संवर्धन्ताम् संवर्धेत संवर्धयाताम् संवधेरन् सुठोध संस्कृत धातु ३पापली लास- मम्म्म्म्म्म्म्म्म 35 --- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -

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