Book Title: Subodh Sanskrit Dhatu Rupavali Part 01
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Tattvatrai Prakashan

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Page 73
________________ વર્તમાન કૃદંતા કર્તરિ | કર્મણિ વિધ્યર્થ કૃદંતા કર્મણિ | હેત્વર્થ | સંબંધક भूतत भूतत ભૂતકૃદંત उच्छित उञ्छित्वा समृध्द समर्थितुम् समृध्य उञ्छितुम् उञ्छत् समृध्यत् उञ्छ्यमान उञ्छितव्य, उञ्छनीय, उञ्छ्य समृध्यमान | समर्धितव्य, समर्धनीय, समृध्य कत्थमान कत्थ्यमान कत्थितव्य,कत्यनीय,कत्थ्य कथितव्य, कथनीय, कथ्य कत्थित कथित कत्थितुम् कथयितुम् कत्थित्वा कथयित्वा कथयत्-मान कथ्यमान कम्पमान कम्पितुम् प्रकाशमान कम्प्यमान कम्पितव्य, कम्पनीय, कम्प्य |प्रकाश्यमान | प्रकाशितव्य, प्रकाशनीय,प्रकाश्य कुप्यमान कोपितप्य, कोपनीय, कुप्य कम्पित प्रकाशित कुपित कुप्यत् कम्पित्वा प्रकाशितुम् प्रकाश्य कोपितुम् कुपित्वा, कोपित्वा कोसितुम् कुसित्वा, कोसित्वा कष्टुंम्,क्रष्टुम् | कृष्ट्वा कष्टुंम्,क्रष्टुम् | कृष्ट्वा कुस्यत् ' कुस्यमान | कोसितव्य,कोसनीय, कोस्य कुसित कर्षत् कृष्यमाण | कर्षितव्य,कर्षणीय,कृष्य कर्षितव्य, कर्षणीय, कृष्य कृषत-माण कृष्यमाण - - - - - - - - - - - - - सुबोध संस्कृत धातु ३पावलीलाम-सम्र AHE

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