Book Title: Sramana 2011 07
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 29
________________ १८ : श्रमण, वर्ष ६२, अंक ३ / जुलाई-सितम्बर - २०११ उकार बहुला अपभ्रंश की प्रवृत्ति के कारण अकारान्त कवल का प्रयोग उकारान्त कवलु के रूप में भी होने लगा था। घर संस्कृत शब्द गृह के लिए घर शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सूत्रकृतांगसूत्र के प्रथम श्रुतस्कन्ध में प्राप्त होता है। ५ घर शब्द जैन अङ्ग ग्रन्थों में बहुतायत से प्रयोग हुआ है। भगवतीसूत्र, ज्ञाताधर्मकथा, अन्तकृद्दशा, अनुत्तरौपपातिकदशा, प्रश्नव्याकरण और विपाकसूत्र लगभग सभी अङ्ग ग्रन्थों में 'घर' शब्द मिलता है। अपभ्रंश साहित्य में भी घर का ही प्रयोग हुआ है। गुजराती में घर के लिए 'घेर' शब्द मिलता है।४७ चिलमिली हिन्दी में प्रयुक्त चिलमन, चिक, पर्दा आदि के अर्थ के वाचक कई शब्द जैन अङ्ग ग्रन्थों में प्राप्त होते हैं। आचारांगसूत्र ८ में देश्य शब्द चिलमिली के अतिरिक्त सूत्रकृतांग ९ में चिलमिलिगा, चिलमिलिया शब्द मिलता है। ओघनियुक्ति-भाष्य५० में उपलब्ध चिलमिणी से चिलमन अत्यधिक साम्य रखता है और सम्भवत: चिलमिणी से ही चिलमन प्रचलन में आया। डहर डगर, मार्ग, रास्ता, राह आदि के साथ हिन्दी में समान अर्थ में प्रयोग किया जाने वाला देश्य शब्द डहर अङ्ग ग्रन्थों आचारांगसूत्र५९, सूत्रकृतांग५२ और अन्तकृद्दशांग५३ में शिशु, लघु, छोटा छुद्र अर्थ में प्रयुक्त होता था। डहरग्राम का अर्थ छोटा गाँव के लिए होता था। अपभ्रंश५४ और देशीनाममाला५५ में भी इसी अर्थ का वाचक है। परन्तु कालान्तर में डहर शब्द सामान्य लघुता का वाचक न होकर पगडंडी आदि लघु मार्ग में प्रयोग होने लगा। इस प्रकार डहर शब्द के अर्थ में संकोच हुआ है। कवाड़ लकड़ी, शीशे आदि के पल्ले के लिए संस्कृत, हिन्दी में कपाट, किवाड़, किवार आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। स्थानाङ्गसूत्र के साथ ही समवाययांगसूत्र, ज्ञाताधर्मकथा, उपासकदशा, अन्तकृद्दशा और प्रश्न व्याकरण में कवाड़ शब्द का प्रयोग होता है।५६ पालित्रिपिटक महावंश५७ और दीघनिकाय५८ में कवाटकों, कवाटकम् कवाटो, कवाट शब्द मिलता है। अपभ्रंश वाङ्मय में कवाड़५९ के साथ कवाण शब्द का प्रयोग होता है। मराठी में आज भी कवाड़ शब्द का प्रयोग किया जाता है।

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