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अङ्ग साहित्य में वर्णित पारिवारिक व्यवस्था का स्वरूप : ५५ के साथ समान रूप से खेला करती थीं१८ किन्तु युवती हो जाने पर उन्हें लड़कों के साथ खेलने पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाता था। इस समय वे घर में ही आँगन या छत पर दासियों के साथ गेंद आदि क्रीड़ाकर मनबहलाव करती थीं। राजकुल की कन्यायें घर के बाहर और राजपथ पर विचरण करने हेतु पूर्णतः स्वतन्त्र थीं। इस समय की कन्यायें संस्कारवान व गुणी होती थीं। कन्याओं के विवाह की चिन्ता उनके माता-पिता को उसी प्रकार से चिन्तित करती थी, जिस प्रकार कोई निर्धन व्यक्ति अपने स्वल्प-सम्पत्ति के नष्ट होने पर चिन्ता करता है। माता-पिता पुत्री का दुःख एक क्षण भी बर्दाश्त नहीं करते थे। शायद इसीलिए उन्हें स्वयंवर विवाह की भी छूट प्रदान थी। वे अपनी कन्याओं का विवाह ऐसे पुरुष से करना चाहते थे जो आजीवन उसका घर-जमाता बनकर रह सकें। किन्तु इसका अर्थ यह कदाचित् न था कि अन्य विवाह प्रकारों पर विचार ही नहीं किया जाता था। शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्हें पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त थी। जैन अङ्ग साहित्य में कुछ ऐसी कन्याओं का भी उल्लेख मिलता है जिन्होंने दीक्षा लेकर पूरा जीवन भिक्षुणी सदृश व्यतीत कर दिया था जिनमें मल्ली, चन्दना आदि का नाम विशेष सम्मान के साथ लिया जाता था। प्रायः ऐसी कन्यायें पितृ-सम्पत्ति की भी अधिकारिणि होती थीं। कन्यायें भी माता-पिता की प्रातःकाल चरण-वन्दना करती थीं। उपर्युक्त प्रसङ्गों से कन्याओं की संतोषप्रद स्थिति का ज्ञान होता है जो आज भी प्रेरणास्पद है। भाई-बहन जैन अङ्ग साहित्य में भाई-भाई व भाई-बहन के मध्य भी मधुर सम्बन्ध परिलक्षित होते हैं। भारतीय संस्कृति में इस सम्बन्ध में मधुरता एवं प्रगाढ़ता बनाए रखने हेतु रक्षाबन्धन जैसे पर्व का भी आयोजन होता है। यद्यपि अङ्ग साहित्य में इस तरह के पर्व के आयोजन का उल्लेख तो नहीं मिलता है किन्तु इस रिश्ते में मधुरता व प्रगाढ़ता के भाव अवश्य प्राप्त होते हैं। अंग साहित्य में यदि भाई-भाई के सम्बन्धों का अध्ययन किया जाए तो इनके मध्य मधुर सम्बन्ध ही परिलक्षित होते हैं, जिनकी तुलना ब्राह्मण परम्परा के चरित्र राम और लक्ष्मण के मध्य सम्बन्धों से की जाय तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। ज्ञाताधर्मकथा के अनुसार- "क्षुधापीड़ित अवस्था में ज्येष्ठ भ्राता द्वारा अपने भाइयों के क्षुधाशमन हेतु प्रस्तुत किये जाने पर अन्य भाई उसके प्रति प्रेम के कारण उसका विरोध करते हैं और उनकी ज्येष्ठता के कारण उनके