Book Title: Sramana 2011 07
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 109
________________ ९८ : श्रमण, वर्ष ६२, अंक ३ / जुलाई-सितम्बर - २०११ जैन ने अतिथियों का परिचय एवं विषय पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन विद्यापीठ के शोध अध्येता डॉ० नवीन कुमार श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० अशोक कुमार सिंह ने किया। ५. विद्यापीठ निदेशक द्वारा फिरोजाबाद सङ्गोष्ठी में पत्र-वाचन एवं अध्यक्षता दिनाङ्क २४ सितम्बर २०११ को छदामीलाल जैन मन्दिर, फिरोजाबाद के सभागार में पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक प्रो० सुदर्शन लाल जैन ने प०पू० उपाध्याय मुनि श्री निर्भय सागर जी के सान्निध्य में '२१वीं शताब्दी और श्रमणचर्या : एक मौलिक चिन्तन' पर विशाल जनसमुदाय तथा देश के विभिन्न भागों से समागत शीर्षस्थ विद्वानों की उपस्थिति में पत्र पढ़ा। विद्वानों के प्रश्नों का निदेशक महोदय ने सयुक्तिक समाधान किया। इस आलेख में निदेशक जी ने दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों सम्प्रदायों की श्रमणचर्या को लेते हुए आधुनिक समय में क्या करना चाहिए जिससे श्रमणचर्या में व्याप्त शिथिलाचार को रोका जा सके, सुझाव दिए। उन्होंने अपने वक्तव्य में आगम-परम्परा को न छोड़ते हुए समयानुकूल बाह्य क्रियाओं में कैसे परिवर्तन किया जा सकता है तथा श्रावकों का इसमें क्या कर्तव्य है? इस पर जोर देते हुए कहा कि श्रमणचर्या में श्रावकों का भी अपराध है क्योंकि वे साधुओं को अनेक प्रकार की सुख-सुविधाएँ प्रदान करते हैं तथा सांसारिक प्रपञ्चों में घसीटते हैं। अपरिशुद्ध भोजनादि की व्यवस्था करके उनके शिथिलाचार को बढ़ाते हैं। श्रावकों को भी अपनी चर्या में बदलाव लाना होगा और संघटित होकर शिथिलाचारी साधुओं का बहिष्कार करना होगा क्योंकि वे साधु 'आत्म-कल्याणार्थ' बने हैं। बाह्य-क्रियाओं में ऐसी पारदर्शिता हो जिससे उनके वीतराग स्वभाव, समताभाव, अहिंसक-व्यवहार, अपरिग्रह-वृत्ति आदि गुणों का समावेश हो। इसके अतिरिक्त निदेशक महोदय ने रात्रिकालीन सङ्गोष्ठी के पञ्चम सत्र में अध्यक्षता भी की। ६. पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के छात्रों का पार्श्वनाथ विद्यापीठ आगमन दिनाङ्क २८ सितम्बर २०११, दिन बुधवार को डॉ० प्रद्युम्न शाह सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, गुरु गोविन्द सिंह डिपार्टमेण्ट ऑफ रिलिजियस स्टडीज, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला, के नेतृत्व में जैन तीर्थों एवं संस्थानों के भ्रमण पर निकले १२ छात्र-छात्राएँ पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्राङ्गण में पहुँचे। संस्थान के

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