Book Title: Sramana 2011 07
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 120
________________ विद्यापीठ के आगामी प्रकाशन १. जैनकुमारसम्भव अनुवादिका- डॉ० (श्रीमती) नीलमरानी श्रीवास्तव जैनों ने विशाल साहित्य का सृजन किया है। उन्होंने न केवल दार्शनिक और धार्मिक साहित्य लिखा है अपितु समाजोपयोगी विविध विषयों पर भी विपुल साहित्य लिखा है। संस्कृत काव्य साहित्य में जैनों का बड़ा योगदान रहा है। विक्रम की १५वीं शताब्दी के अञ्चलगच्छीय श्वेताम्बर जैन मुनि श्री जयशेखर सूरि ने 'जैन कुमारसम्भव' लिख कर उस कड़ी में एक नग और जड़ दिया है। महाकवि कालिदास के कुमारसम्भव को पढ़ने वालों को जैन कुमार सम्भव अवश्य पढ़ना चाहिये। डॉ. (श्रीमती) नीलम रानी श्रीवास्तव ने यह हिन्दी अनुवाद आज से कई वर्ष पूर्व कर लिया था परन्तु इसके प्रकाशन में कतिपय कारणों से विलम्ब हुआ। इसके पूर्व इसके तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके थे१. ई.सन् १९०० में श्रावक श्री भीमसिंह माणेक मुंबई से पं. श्रावक हीरालाल वि. हंसराज कृत गुजराती अनुवाद के साथ प्रकाशित हुआ। २. ई. सन् १९४६ में हीराचन्द कस्तूरचन्द झवेरी तथा मोतीचन्द मगनभाई चोकशी सूरत से श्री धर्मशेखर सूरि कृत संस्कृत टीका के साथ प्रकाशित हुआ। ३. ई. सन् २००३ में डॉ. रमेशचन्द जैन, वर्धमान कालेज, बिजनौर के हिन्दी अनुवाद के साथ प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर तथा श्री आर्य जय कल्याण केन्द्र ट्रस्ट, मुम्बई ने संयुक्त रूप से प्रकाशित किया। लेखिका के समक्ष डॉ. रमेशचन्द जैन का संस्करण नहीं था अत: उन्होंने इस ग्रन्थ को अपने गुरुवर प्रो. जगदम्बा प्रसाद सिन्हा, निवर्तमान अध्यक्ष, संस्कृत तथा प्राकृत विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय के निर्देशन में तैयार किया जो कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। यह केवल हिन्दी अनुवाद मात्र नहीं है अपितु जैन संस्कृत काव्य साहित्य के इतिहास का परिचायक भी है। विविध परिशिष्टों के साथ इस संस्करण में ग्रन्थ की विस्तृत समीक्षा भी है। लेखिका का प्रयास सराहनीय है। हम इसकी संस्कृत टीका भी प्रकाशित करना चाहते थे किन्तु अपरिहार्य कारणों से अभी नहीं कर पा रहे हैं। इस कमी को हम अगले संस्करण में पूरा करेंगे। २. जैन एवं वैदिक परम्परा में द्रौपदी : एक तुलनात्मक अध्ययन लेखिका- डॉ०(श्रीमती) शीला सिंह 'जैन एवं वैदिक परम्परा में द्रौपदी : एक तुलनात्मक अध्ययन' शीर्षक कृति डॉ०(श्रीमती) शीला सिंह का उपर्युक्त विषय पर लिखा गया पी-एच०डी०

Loading...

Page Navigation
1 ... 118 119 120 121 122