________________
पार्श्वनाथ विद्यापीठ समाचार : ९७ व्याख्यान के पूर्व विद्यापीठ के निदेशक प्रो० सुदर्शन लाल जैन ने अभ्यागत अतिथियों का स्वागत करते हुए विद्यापीठ का परिचय दिया तथा जैन भूगोल की रूपरेखा पर जैनागमों के आलोक में प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध विद्वान् प्रो० आर०एस० यादव, भूगोल विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने बतलाया कि जैन सिद्धान्त आधुनिक भूगोल के अध्ययन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका रखते हैं। इनका विश्वविद्यालयीय स्तर पर अध्ययन-अध्यापन होना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ० अशोक कुमार सिंह ने किया। ४. 'भगवान् महावीर का वर्तमान समाज को अवदान' विषय पर विशिष्ट व्याख्यान जैन विश्वभारती लाडनूं से पधारी विदुषी समणी शारदाप्रज्ञा जी का ‘भगवान् महावीर का वर्तमान समाज को अवदान' विषय पर २० सितम्बर २०११ को व्याख्यान सम्पन्न हुआ। उन्होंने बतलाया कि भगवान् महावीर के लोक-तत्त्व, उपभोग-परिभोग नियम, परिग्रह नियम परिमाण के पालन से सामाजिक विषमता का सर्वथा अन्त हो सकता है। नक्सलवाद आदि समस्याओं का भी अन्त हो जाएगा। महावीर का धर्म व्यक्तिनिष्ठ होकर भी मानव कल्याण का सिद्धान्त है। आत्मा अपने पुरुषार्थ से उच्चतम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त कर सकता है। महावीर ने भाग्यवाद को पुरुषार्थवाद में बदल दिया। अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह तथा ब्रह्मचर्य इन पाँच व्रतों के पालन का उपदेश दिया। भगवान् महावीर ने मन, वचन
और काय की प्रवृत्ति को संयमित करने का भी उपदेश दिया। भगवान् महावीर ने त्याग को पूज्य बताया, ऋद्धि और समृद्धि को नहीं। सामाजिक-व्यवस्था में जाति-पाति के आधार का खण्डन किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष थे प्रो० आर० सी० पण्डा, सङ्काय प्रमुख, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान सङ्काय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी तथा मुख्य अतिथि थे प्रो० कृष्णकान्त शर्मा, पूर्व सङ्काय प्रमुख, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान सङ्काय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी। कार्यक्रम का आरम्भ प०पू० महाराज प्रशमरति विजय जी के मङ्गलाचरण से हुआ। विद्यापीठ की गतिविधियों पर प्रकाश विद्यापीठ के संयुक्त निदेशक (स्थापन) डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने डाला। संस्थान के निदेशक (शोध) प्रो० सुदर्शन लाल