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१०४ : श्रमण, वर्ष ६२, अंक ३ / जुलाई-सितम्बर - २०११ निर्देशिका के संयोजक एवं सम्पादक श्री हँसमुख गाँधी ने बताया कि इस तीर्थ-नर्देशिका की ३०,००० प्रतियाँ अब तक विभिन्न संस्करणों में प्रकाशित की जा चुकी हैं। प्रस्तुत नवीन संस्करण में २२५ तीर्थों की अद्यतन जानकारी देने के साथ ही देश के ४४ प्रमुख नगरों एवं पर्यटन स्थलों में स्थित धर्मशालाओं एवं अतिथि निवासों की जानकारी संकलित की गई है जिससे वहाँ समीपवर्ती तीर्थों की यात्रा की जा सके।
४. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी स्मृति ग्रन्थ का राष्ट्रपति द्वारा लोकार्पण पांचाल शोध संस्थान के तत्त्वावधान में १५ मई २०११ को नई दिल्ली में 'डॉ० लक्ष्मीमल्ल सिंघवी दिग्दर्शन ग्रन्थ समिति' के द्वारा प्रकाशित ब्रिटेन में पूर्व भारतीय उच्चायुक्त, पद्मभूषण डॉ० लक्ष्मीमल्ल सिंघवी स्मृति ग्रन्थ 'दृष्टि में सृष्टि' का महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा लोकार्पण हुआ एवं इसकी प्रथम प्रति उनको समारोहपूर्वक भेंट की गई। १६ मई २०११ को देश के गौरवशाली राष्ट्रपति भवन के भव्य 'येलो ड्राइंग रूम' में देश के वरिष्ठ एवं गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में एक गरिमामय समारोह के मध्य यह भव्य एवं गरिमामयी आयोजन सम्पन्न हुआ। स्मृति-ग्रन्थ शोधपूर्ण सामग्री, ऐतिहासिक चित्रों आदि से सुसज्जित है। अन्त में एक टिप्पणी है- डॉ० लक्ष्मीमल्ल सिंघवी के जीवन व कार्यों को किसी ग्रन्थ में समेट पाना सागर को अंजुरी से उलीचने जैसा है। वस्तुत: यह अन्त नहीं, एक आरम्भ है.......।
५. ज्ञानोदय पुरस्कार की घोषणा दिनाङ्क २८ सितम्बर २०११, दिन बुधवार को ज्ञानोदय पुरस्कार निर्णायक मण्डल द्वारा प्रो० जगदीश चन्द्र उपाध्याय, इन्दौर (म०प्र०) को जैन इतिहास के क्षेत्र में शोध, मार्गदर्शन एवं लेखन हेतु तथा श्री शान्तिलाल जागड़ा, उदयपुर को ऋषभदेव केशरियाजी मन्दिर एवं इसकी परम्परा के लिए ज्ञानोदय पुरस्कार की घोषणा की गई। पार्श्वनाथ विद्यापीठ की तरफ से विजेताओं को बधाई।
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