Book Title: Sramana 2011 07
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 35
________________ ७८. ८०. ८१. ८३. २४ : श्रमण, वर्ष ६२, अंक ३ / जुलाई-सितम्बर - २०११ भगवतीसूत्र, अंगसुत्ताणि, भाग २ ७६. पाइअ-सद्दमहण्णवो, पृ० ६३९ ७७. अपभ्रंश हिन्दीकोश, भाग २, पृ० ७८४ तुमुले घमाल, बोला य, देशीनाममाला, ६/९० ७९. इंगाले, हारिए, भुसे, गोमए, ५/५४, भगवतीसूत्र, अंगसुत्ताणि भाग २ पाइअसद्दमहण्णवो, पृ० ६३८ वही, पृ० ६३८ ८२. देशीनाममाला, ४५३ बृहत् हिन्दी कोश, पृ० १३१९ ८४. किंसठिया णं हल्ला पण्णत्ता? १५/१३२ भगवतीसूत्र रुक्खा जुण्णा झोडा,- १/११/२,४,६ ज्ञाताधर्मकथासूत्र, अंगसुत्ताणि, भाग ३ ८६. सहास्सिए उद्धस्सिए हेट्ठ सहस्समेगं, सूत्रकृतांगसूत्र, १/६/११० ८७. जहा हेट्ठा जाव, ज्ञाताधर्मकथा, १/१६/२९८ ८८. डॉ० नामवर सिंह, प्राकृत की सांस्कृतिक विरासत, प्राकृत साहित्य और भारतीय परम्पराएँ, प्रधान सम्पा० आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली २०१०, प्रस्तावना, पृ० २५ प्रो० कमलेश दत्त त्रिपाठी, प्राकृत की सांस्कृतिक विरासत, प्राकृत साहित्य और भारतीय परम्पराएँ, प्रधान सम्पा० आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली २०१०, प्रस्तावना, पृ० २३ ८५. ८९.

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