Book Title: Sramana 2011 07
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 34
________________ ६२. ६४. अङ्ग आगम में प्रयुक्त देश्य शब्द : २३ ५५. देशीनाममाला, ४/८ ५६. आगम शब्द कोश, सम्पा० आचार्य महाप्रज्ञ, जैन विश्वभारती, लाडनूं १९८०, पृ० २१२ ५७. महावंस, ५७, २१७ ५८. दीघनिकाय, ३७२ ५९. अपभ्रंश हिन्दी कोश, भाग १, पृ० २१० ६०. वही, पृ० २१० ६१. पावकर मइल मइ- समवायांगसूत्र, प्रकीर्णक ९०, अंगसुत्ताणि १, सम्पा० आचार्य महाप्रज्ञ, जैन विश्वभारती लाडनूं १९७४, पृ० ९१२ अपभ्रंश हिन्दी कोश, भाग २, पृ० ८२१-८२२ ६३. मइलो कलकलो गततेजाश्च- वृत्ति देशीनाममाला, आचार्य हेमचन्द्र, ६/१४२ कट्ठण वा किलिंचेण वा- भगवतीसूत्र, ८/२२३, अंगसुत्ताणि, भाग २, सम्पा० आचार्य महाप्रज्ञ, जैन विश्वभारती लाडनूं १९७४, पृ० ३१९ ६५. कालिंजं तथा किलिचं लघुदारु-२, देशीनाममाला स्वोपज्ञवृत्ति, आचार्य हेमचन्द्र, सम्पा० मुरलीधर बनर्जी, कलकत्ता विश्वविद्यालय १९३१, पृ० ६० ६६. गोड्डे पाणियुगले- १८/१०७, भगवतीसूत्र, अंगसुत्ताणि, भाग २, लाडनूं १९७४ ६७. अपभ्रंश-हिन्दीकोश, भाग ९, पृ० ३१५ ६८. परिहत्ता जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव चोप्पाले पहरणकोसे तेणेव उवागच्छइ ३/११२ भगवतीसूत्र, अंगसुत्ताणि भाग २ ६९. पाइअसद्दमहण्णवो, पृ० ३३२ ७०. पिरपिरिय सद्दाणि, पोया सद्दाणि, आचाराङ्गचूला, ५/६४ पाइअसद्दमहण्णवो, पृ० ६१५ ७२. अपभ्रंश हिन्दीकोश, भाग २, पृ० ७५३ ७३. अवर्णो य श्रुतिः, ८-१/१८०, प्राकृतव्याकरण ७४. बृहत् हिन्दीकोश, सम्पा० कालिकाप्रसाद, ज्ञानमण्डल लिमिटेड, लंका वाराणसी १३९१ (पुनर्मु० सं०) २०१० ७५. उक्किट्ठसीहनाय-बोल-कलकल खेण, २/३०, ३/२५८ ७१.

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