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विश्वामित्रस्मृति के प्रधान विषय
अध्याय
प्रधान विषय
१ नित्यनैमित्तिककर्मणां वर्णनम्
मङ्गलाचरण ( १ ) ब्राह्ममुहूर्त, उषःकाल, अरुणोदय और प्रातःकाल के मान का वर्णन ( ३ ) । नित्य और नैमित्तिक तथा काम्य कर्म समय पर करने से सत्फल देते हैं ( ४ ) ब्राह्ममुहूर्त में शौच से निवृत्त होकर अरुणोदय के पहले आत्मा के लिये स्नान करे प्रातः जप करे और सूर्य को देखकर उपस्थान करे ( ६ ) । काल बीतने पर कोई कर्म करने से फल नहीं मिलता यदि किसी कारण से काल का लोप हो गया तो तीन हजार जप करने से उसका प्रायश्चित्त विधान है । दुःसङ्ग या निद्रा अथवा प्रमाद आलस्य से काल का लोप करने से प्रायश्चित्त बतलाया गया है ( ८-१४) । जो व्यक्ति समय पर नित्यकर्मादि को करता है वह सम्पूर्ण लोगों पर जय पाकर अन्त में विष्णुपुर में जाता है ( १६ ) ।
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प्रातः स्नान सन्ध्या और जप अवश्य कर्म है । जैसे समय पर वर्षा होते ही बीज बोने से अच्छी खेती होती है वैसे ही नियुक्त कर्मों को नियुक्त समय पर करने से सद्यः सिद्धि मिलती है ( १७-२१ ) । उत्तम, मध्यम और