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शाण्डिल्यस्मृति के प्रधान विषय अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क १ आचारवर्णनम्
२७६३ आचार के विषय में मुनियों का शाण्डिल्य से प्रश्नोत्तर (१-१२)। द्विविधादेहशुद्धिवर्णनम्
२७६५ दो प्रकार की देह शुद्धि का शर्णन । दूसरे की निन्दा पारुष्य, विवाद, झूठ, निजपूजा का वर्णन, अतिबन्ध प्रलय, असह्य एवं मम वचन, आक्षेप वचन, असत् शास्त्र एवं दुष्टों के साथ संभाषण इत्यादि दुर्गुणों को त्याग कर स्वाध्याय, जप में रत, मोक्ष एवं धर्म के कार्य में निरन्तर लगना प्रिय बोलना, सत्य एवं परहितकारी वचनों का उच्चारण करना ऐसी बहुत-सी शुद्धियों का वर्णन । शिर, कण्ठ आँख और नासिका के मल को दूर करना यही सर्वाङ्गीणा शुद्धि बतलाई है (१८-३६)। ज्ञानकर्मभ्यां हरिरेवोपास्य इतिवर्णनम् २७६७ धर्म की हानि नहीं करनी चाहिये, संग्रह ही करे। धर्म एवं अधर्म सुख व दुःख के कारण हैं। यही सनातन धर्म शास्त्र है अन्य सब भ्रामक हैं तथा तामस व राजस हैं, यही सात्त्विक है । वेद, पुराण एवं उपनिषदों