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[ ४६ ] अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क वर्ण्य भोजन में दोष वर्णन (६०२-६०५)। गृहस्थ के लिये पठनीय एवं करणीय विधान (६०६-६१३)। कन्दमूल फल जो भक्ष्य हैं उनका विधान (६१४-६१६)।
यज्ञों का ब्रह्मज्ञान के समान फल वर्णन (६२०६३६ )। शेषहोम के विधान का वर्णन (६३७-६५६)। ब्राह्मणादि का पूजन (६५७-६७७)। पुत्रविवाह से पुत्री विवाह की विशेषता। सुपात्र में कन्यादान पुत्र से सौ गुणा अधिक बताया है (६७८-७००)। गोत्रपरिवर्तन के सम्बन्ध में नाना मत (७०१-७२२)। वंश के उद्धार के लिये दत्तक पुत्र का विधान (७२३-७४३)। दत्तक में दौहित्र की योग्यता (७४४-७५५) । श्राद्धकृत्य में निर्दिष्ट का अन्य कृत्य नियोजन में निषेध (७५६-७८६)। एक काल में बहुत से श्राद्ध आने पर कृत्यों का सम्पादन प्रकार (७८६-७८८)। ब्रह्मवेदी ब्राह्मण का माहात्म्य (७८६-७६२)। कण्वस्मृति का फल वर्णन ।
॥ कण्वस्मृति की विषय-सूची समाप्त ॥