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आङ्गिरसस्मृति के प्रधान विषय
अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क पूर्वाङ्गिरसम् आङ्गिरसम्प्रति ऋषीणाम्प्रश्नः- २६४६
आङ्गिरस से ऋषियों का प्रश्न ( १)। धर्म का स्वरूप वर्णन (२-४)। वैदिक कर्मों को पुराणोक्त मन्त्रों से न करे (५-६)। मन्त्र के अभाव में व्याहृतियों को काम में लिया जाय। व्याहृतियों का महत्व वर्णन (७-१४)। जात कर्मादि संस्कारों का अतिक्रम होने पर प्रायश्चित्त (१५-२१)। श्राद्धापाकानन्तरमाशीचे निणयः २६५१
श्राद्धपाक के बाद यदि आशौच हो जाय तो विधान । उस क्रिया के करने में ऋत्विकगण को वह वाधक नहीं हो सकता (२२-२४)। पाकारम्भ के बाद यदि आस-पास में कोई मृत्यु हो तो श्राद्ध दूषित नहीं होता (२५)। पाकारम्भ से पूर्व भी यदि कोई मृत्यु हो तो वह न करे (२६-२८ )। 'दर्श पूर्णमास इष्टि पशुबन्ध के अनन्तर श्राद्धं ( २६-३३)। महादीक्षा में श्राद्ध (३४-३६)। खर्वदीक्षा में श्राद्ध (३६-३७ )। दीक्षावृद्धि में श्राद्ध (३०-४०)। दीक्षा के बीच में मृत्यु