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अध्याय
[ ५२]
प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क
आशौचनिर्णयवर्णनम्
२६४३
बाल, शिशु एवं कुमार की परिभाषा ( १३० ) । विवाह, चौल और उपनयन में यदि माता रजस्वला हो जाय तो शुद्धि के बाद मङ्गल कार्य करें (१३१-१३२)। कोई कार्य प्रारम्भ हो और सूतक का आशौच हो जावे तो उस कार्य के सम्पादन का विधान ( १३४ ) । श्राद्धकर्म उपस्थित होने पर निमन्त्रित ब्राह्मण आवें तो सूतक का आशौच नहीं लगता व उस कार्य के सम्पादन का विधान ( १३५ ) ।
देशान्तरपरिभाषावर्णनम्
२६४५
ब्राह्मणों के भोजन करते हुए यदि सूतक हो जाय तो दूसरे के घर से जल लाकर आचमन करा देने से शुद्धि हो जाती है ( १३७ ) । देशान्तर में यदि कोई सपिण्ड मर जाय तो सद्यः स्नान से शुद्धि कही गई है (१३८) । देशान्तर की परिभाषा ६० योजन दूर या २४ योजन अथवा ३० योजन दूर को देशान्तर बताया है या बोली का अन्तर या पर्वत का व्यवधान तथा महानदी बीच में पड़ जाती हो तो देशान्तर कहा जाता है ( १३६ - १४० ) ।