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[ २ ] अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क में विशेष (४३४-४४५)। पत्नी की वैशिष्ट्यता (४४६-४४६) पुत्रों का ज्येष्ठ कानिष्ठ्य (४५०)।
भोगिनी (४५१)। भर्मणा, वा वातादि पत्नियों का वर्णन (४५६-४६४)। धर्मपत्नी से उत्पन्न शिशु का ही स्पर्श मात्र कर्तृत्व (४६५-४७१ )। सन्निधि भी स्पर्शमात्र कत्व (४७२-४७४ )। श्राद्धादि में अत्यन्त तृप्तिकर पदार्थ (४७५-४८१)। गौरी दान वृषोत्सर्ग व पितरों को अत्यन्त तृप्ति कर कहे हैं (४८२४८३)। जकारपञ्चक का वर्णन (४८४-४८५)। ग्रहण श्राद्ध का लक्षण (४८६-४६५)। पनस स्थापित महान् विशेष है ( ४६६-५०३ )। अलर्क श्राद्ध (५०४-५०८)। श्राद्धार्हदिव्यशाकवर्णनम्
३००३ श्राद्ध के योग दिव्य शाक (५०६-५३० )। पनस की महिमा ( ५३१-५७१ )। रोदन का फल (५७२-५८५)। उर्वारु महिमा (५८६-६०३)। उर्वारु को छोड़ने में दोष (६०४-६०५)। छियानवे श्राद्धों का वर्णन ( ६०६-६१६ )। १०८ श्राद्ध प्रकृति श्राद्ध, दर्श श्राद्ध, दर्श और आब्दिक समान हैं मन्वादि श्राद्ध, संक्रान्ति श्राद्ध, संक्रान्ति पुण्यवास (.६२०-६४८)। अन्न श्राद्ध में कुतप ( ६४६-६५४)।
दर्श संक्रान्ति आदि श्राद्ध (६५५-६५७ ) । महालय