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अध्याय
[ ३८ ] प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क ६ सहस्रकलशाभिषेकः .
२७८४ ___ सहन कलशों से अभिषेक का वर्णन (१-७)। ७ कलौ नौयात्राद्यष्टकर्मणां निषेधः २७८५
कलियुग में विधवा का पुनः उद्वाह, नाव से यात्रा, मधुपर्क में पशु का वध, शूद्रान्नभोजिता, सब वर्गों में भिक्षा मांगना, ब्राह्मणों के घरों में शूद्र की पाचनक्रिया, भृग्वमिपतन वर्जित है (१-५)। वेन के पास ऋषियों
का अनुरोधपूर्ण आवेदन ( ६-३३)। ८ अष्टनिषिद्धकर्मणां प्रायश्चित्तवर्णनम्
२७८६ धनाढ्य व्यक्तियों को आठ निषिद्ध कर्मों के करने से सहस्त्र कलशस्नान, पञ्चवारुण होम, गायत्री पुरश्चरण, महादान और सहस्र ब्राह्मण भोजन इत्यादि प्राय
श्चित बतलाये हैं (१-१४)। १ धनहीनाय प्रायश्चित्तवर्णनम्
२७६१ धनहीन के लिये प्रायश्चित्त का विधान-वह शिखा सहित मुण्डित हो पुण्यतीर्थ में, या तालाव में, आकण्ठ जल में मग्न हो अघमर्षण जाप करे (१-१३)। ॥ श्री नारायणस्मृति की संक्षिप्त विषय-सूची समाप्त ॥