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अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाक कर्त्तावृतस्याधिकारः
२७४२ अतद्वत (अनधिकार ) कर्म अकृत कर्म के समान है (४३१-४४४)। विधवानां निन्दा
२७४३ विधवाओं को स्वतन्त्र रहने से निन्दित कहा है अतः पतिगृह या पितृगृह में ही रहना आवश्यक है (४४५-४७२)। रण्डाया अस्वातन्त्र्यम्
२७४६ रण्डा की सम्पत्ति का अधिकार, वह उसके बेचने आदि की अधिकारिणी नहीं (४७३-४८२)। कई रण्डाओं के भेद (४८३-४६३)। विवाहात्परतः स्त्रीणामस्वातन्त्र्यवर्णनम् २७४६
विवाह के बाद स्त्रियों की अखतन्त्रता का वर्णन (४६६-५०५)। शास्त्रदृष्टि से धर्मपालन का महत्त्व (५०६-५२६ )। पुत्र के अभाव में दत्तक का विधान वर्णन (५२७-५७६)। समीचीन रण्डा का वर्णन (५७७-६०८)। उत्तमदण्डव्यवस्थावर्णनम्
२७५९ उत्तमदण्डव्यवस्था का वर्णन (६०६-६४०)।