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गया है। वश्वदेव के काल का वणन । वैश्वदेव माहात्म्य वर्णन (४०-८३)।
॥ विश्वामित्रस्मृति की विषय-सूची समाप्त ।।
प्रध
लोहितस्मृति के प्रधान विषय अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क विवाहाग्नौ स्मार्तकर्मविधानवर्णनम् २७०१
विवाहाग्नि में स्मात कर्मों का वर्णन । जिस स्त्री के साथ सर्वप्रथम गार्हस्थ्य सम्बन्ध जुड़ता है वह धर्मपत्नी है । उसके विवाह के समय की अग्नि का ही सभी कार्यों में उपयोग इष्ट है (१-११)। अन्य भार्याओं की अग्नि गौण है उनमें वेदोक्त एवं तन्त्रोक्त प्रयोग नहीं होना चाहिये। यदि उन्हें काम में भी लें तो अमन्त्रक ही प्रयोग होना चाहिये (१२-१६ )।
सभी स्मार्त कर्म, स्थालीपाक, श्राद्ध, या जो भी नैमित्तिक हो वह सारा प्रथम धर्मपत्नी की अग्नि में ही हो । (२०-२६)। अनेकाग्निसंसर्गः
२७०४ पूसणे अमियों का एकत्र संसर्ग का विधिपूर्वक