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[ ३२ ] अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाक पुत्र लेनेवाले के किसी काम का नहीं ( २७०)। कई स्त्रियों के एक पति से पुत्र हो तो ज्येष्ठ और कनिष्ठ को छोड़ अन्य लिये जा सकते हैं ( २७३ )। एकपुत्रस्य स्वीकरणनिषेधः
२७२७ एक पुत्र यदि बिना स्त्रीवाले के हो और विधवा स्त्री उसे दत्तक ले उसका निषेध ( २७४-२८५)। विधवास्वीकृतपुत्रदण्डम्
। २७२८ जो कोई सुता और दौहित्र को तिरस्कार कर अन्य को दत्तक ले उसपर राजाविशेष विधान से दण्ड लागू करे ( ( २६०-२६६)। दौहित्रप्रशंसा
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२७२६ दौहित्र की प्रशंसा ( २६७-३२३)। .... दौहित्रत्रैविध्यम्एक तन्मातामह गोत्री, दूसरा दौहित्र और तीसरा निर्दोष
विवाह में कन्याप्रदान के समय मातामह एवं पिता की प्रतिज्ञा के अनुसार होनेवाले सम्बन्ध से उत्पन्न सन्तान क्रमशः तन्मातामह गोत्री और दौहित्र हैं तीसरा निर्दोष तातगोत्री है।